प्रश्न: सेवा से आप क्या समझते हैं ? सेवा की विशेषताएं बताइए। भारत में सेवा बाजार के बढ़ने के क्या कारण हैं ?
(What do you understand by Service? Describe the features of the Service. What are the reasons for the growth of the Services Market in India ?)
परिभाषाएं (Definitions)- की कुछ परिभाषाएं निम्न है-
- अमेरिकी विपणन संघ के अनुसार, "सेवाएं वे क्रियाएं, लाभ या संतुष्टि हैं, जो विक्रय हेतु प्रस्तुत की जाती है अथवा माल के साथ उपलब्ध की जाती हैं।"
- बेसम के अनुसार, "उपभोक्ता के लिए, सेवाएं विक्रय हेतु प्रस्तावित वे क्रियाएं हैं, जो मूल्यवान लाभ या संतुष्टि प्रदान करती हैं, तथा वे क्रियाएं हैं जिन्हें व स्वयं अपने आप नहीं कर सकता है या अपने आप नहीं करने का निश्चय करता है।"
- कुर्ज एवं बून अनुसार, "सेवाएं वे अमूर्त क्रियाएं हैं, जो चुने हुए बाजार क्षेत्रों में कुशलतापूर्वक विकसित एवं वितरित करने पर औद्योगिक एवं उपभोक्ता उपयोगकर्ताओं की आवश्यकताओं को संतुष्ट करती हैं।"
- भारतीय उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अनुसार, "सेवा से तात्पर्य किसी भी प्रकार की सेवा से है, जो संभाव्य उपभोक्ताओं को उपलब्ध की जाती हैं तथा इसमें बैंकिंग, वित्तीय, बीमा, परिवहन, अभिक्रिया, विद्युत या अन्य ऊर्जा की आपूर्ति, भोजन एवं आवास अथवा दोनों, मनोरंजन, आमोद-प्रमोद, समाचारों तथा अन्य सूचनाओं को प्रदान करने संबंधी सेवाएं भी सम्मिलित हैं, किंतु निःशुल्क अथवा व्यक्तिगत अनुबंध के अंतर्गत प्रदान की जाने वाली सेवाओं को इन में सम्मिलित नहीं किया जाता है।"
निष्कर्ष (Conclusion)- निष्कर्ष रूप में, सेवा वह अमूर्त क्रिया या क्रियाओं की श्रृंखला है, जो किसी व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति को मूल्य के बदले प्रस्तुत की जाती है ताकि उस दूसरे व्यक्ति की समस्या का समाधान हो सके या उसे सुविधा या संतुष्टि प्राप्त हो सके। सेवा किसी उत्पाद के साथ या अलग से स्वतंत्र रूप से भी प्रदान की जा सकती है।
सेवा की विशेषताएं (Characteristics of Service)- उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर सेवा की निम्नलिखित विशेषताएं होती है:
- अदृश्यता (Intangibility)- सेवा अदृश्यता का आशय यह है कि सेवा को क्रय करने से पूर्व देखा, चखा, महसूस, सुना या सूंघा नहीं जा सकता। क्रय के पश्चात वे सेवा के फल को महसूस कर सकते हैं। जैसे- एक डॉक्टर के पास लोग स्वास्थ्य परीक्षण या रोग निदान के लिए जाते हैं या किसी भी प्रकार की बीमा के लिए भुगतान करते हैं या कोई कॉस्मेटिक सर्जरी कराते हैं, तो बिना क्रय किए उसका रिजल्ट दिखाई नहीं दे सकता है।
- पृथक न करने योग्य (Inseparability)- अनेक सेवाएं, जिनके स्रोतों से वे प्रदान की जाती हैं, या उनके द्वारा जो सेवा से लाभान्वित होते हैं, अविभेद्य होती हैं अर्थात उस व्यक्ति, मशीन से उस सेवा को अलग नहीं किया जा सकता है। जैसे- एक डॉक्टर के कौशल को उससे अलग नहीं किया जा सकता है, एक अकाउंटेंट जो वित्तीय सेवाएं प्रदान करता है, उससे अलग नहीं किया जा सकता है। अतः सेवा अविभेद्य का आशय है कि सेवा, सेवा प्रदान करने वालों से अलग नहीं हो सकती, चाहे प्रदायक मानव हो या मशीन।
- भिन्नता (Heterogeneity)- सेवा की एक विशेषता यह भी है कि इसका प्रमाणपीकरण नहीं हो सकता है। एक ही प्रकार की सेवा एक ही ग्राहक को सदैव समान स्तर कि प्रदान करना कठिन है। इतना ही नहीं, कोई एक ही प्रकार की सेवा सभी ग्राहकों को एक ही गुणवत्ता या प्रमाप में प्रदान करना भी लगभग असंभव होता है।
- नाशवान/असंग्रहणीय (Perishable)- सेवाएं नाशवान प्रकृति की होती हैं जिसे संग्रह करके नहीं रखा जा सकता है। अतः जब इसकी आवश्यकता होती है, तभी सेवा का निष्पादन (उत्पादन) करना पड़ता है। उदाहरण के लिए हवाई यात्रा सेवा प्रदान करने वाली संस्था यात्री टिकट कभी भी बेच सकती है, किंतु उसे हवाई सेवा का उत्पादन तभी करना पड़ेगा जब यात्री की यात्रा का समय आएगा। सेवा का संग्रह नहीं कर सकने के कारण ही जब सेवा की मांग अधिक होती है तो सेवा की किस्म को बनाए रखना कठिन होता है, किंतु जब सेवा की मांग घट जाती है तो श्रेष्ठतम सेवा भी व्यर्थ चली जाती है। इतना ही नहीं यदि ग्राहक सेवा को पहले से ही 'बुक' करवा लेता है और उस सेवा का उपयोग नहीं कर पाता है तो भी सेवा का संचय या संग्रह नहीं हो पाता है। 'बुक' करने के बाद सेवा का समय पर उपयोग नही करने पर मूल्य वापस भी नहीं किया जाता है।
- मांग में उतार-चढ़ाव (Fluctuation in Demand)- सेवाओं की मांग किसी विशेष मौसम या आवश्यकता या किसी विशेष समय पर होती है। अन्य समयों में उनकी मांग नहीं होती है। मांग में परिवर्तन मौसमी हो सकता है या कभी-कभी साप्ताहिक, दिन या घंटे हो सकता है।
- जांच परख कठिन (Difficult to Test)- सेवा अमूर्त होती है, अतः इसका नमूना भी नहीं होता है। इसका प्रमाणीकरण भी संभव नहीं है। इसे उपभोग के समय ही निष्पादित (उत्पादित) किया जाता है। फलतः सेवा के उपयोग की किस्म की जांच परख करना कठिन ही नहीं असंभव भी है।
- व्यक्तिगत कौशल (Personal Skills)- सेवा की किस्म, सेवा प्रदान करने वाले व्यक्ति की व्यक्तिगत कौशल से सर्वाधिक रूप से प्रभावित होता है। सेवा प्रदान करने वाला ज्यों ज्यों अपने कौशल में सुधार करेगा त्यों त्यों उसकी सेवा की क्रिया में सुधार होता चला जाएगा।
- संसाधनों का उपयोग (Use of Resources)- सेवा के उत्पादन एवं प्रस्तुत करने में प्रायः कुछ संसाधनों का उपयोग भी किया जाता है। सामग्री, यंत्र, उपकरण, ऊर्जा, शारीरिक श्रम, आदि का प्रयोग सेवा के उत्पादन एवं प्रस्तुतीकरण में उपयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए, हवाई परिवहन सेवा प्रदान करने हेतु हवाई जहाज का उपयोग करना पड़ता है।
भारत में सेवा विपणन के बढ़ने के कारण (Reasons of Growth Service Marketing in India)- भारत में सेवा वितरण के बढ़ने के निम्नलिखित कारण है-
- कम पूंजी की आवश्यकता (Low Capital Requirement)- सेवाओं पर आधारित व्यवसाय की लागत उस योजना से कम है जो उत्पाद आधारित है। विनिर्माण और बिक्री उत्पादों को एक विशाल निवेश की आवश्यकता होती है, जिसे सेवा क्षेत्र में टाला जा सकता है और उत्पाद आधारित व्यवसाय की तुलना में बहुत छोटे समूह द्वारा सेवा विपणन की शुरुआत की जा सकती है।
- कम जोखिम (Less Risk)- उत्पाद आधारित व्यवसायों में जोखिम बहुत अधिक है क्योंकि यह कहना बहुत मुश्किल है कि जिस उत्पाद को कंपनी लॉन्च कर रही है उसे उच्च बिक्री मिलेगी। लेकिन सेवा के मामले में, लोग इसे कोशिश करने में अधिक सहज हैं। कौशल-आधारित व्यवसायों में हमेशा उत्पाद बेचने की तुलना में कम जोखिम होता है।
- लचीलापन (Flexibility)- उत्पाद की तुलना में सेवा में बदलाव करना आसान है। सेवा आधारित विपणन के संदर्भ में कोई भी, कहीं से भी काम कर सकता है, लेकिन उत्पाद आधारित विपणन योजना का स्थान तय होता है। उत्पाद आधारित विपणन बहुत कम लचीलापन होता है, जबकि फीडबैक के आधार पर सेवाओं में बदलाव आसानी से किया जा सकता है। अगली बार इसे कैसे करना है, यह हमारे हाथ में होता है।
- कानूनी औपचारकताएं (Legal Formalities)- विनिर्माण का कार्य शुरू करने से पहले बहुत सारे कानूनी औपचारिकताओं को पूरी करनी पड़ती है। जबकि सेवाओं के संबंध में बहुत कम ही कानूनी औपचारिकताओं को पूरे करने पड़ते है।
- तेजी से शुरुआत (Fast to launch)- विनिर्माण या उत्पाद संबंधी कार्यों को शुरू करने के लिए, इस प्रकार के कार्यों के प्रयुक्त संसाधनों को इकट्ठा करना पड़ता है जिसके कारण विपणन कार्यों के शुरुआत में समय लगता है। जबकि सेवाओं से संबंधित विपणन कार्यो को तेजी से, कम समय तथा कम लागत में शुरू किया जा सकता है।
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