Sunday, October 25, 2020

खाताबही (Ledger) से आप क्या समझते हैं ? खाताबही में खतौनी करने के क्या नियम है ? खाताबही में खोले गए विभिन्न खातों के शेष कैसे निकाला जाता है एवं उन्हें बंद कैसे किया जाता है ?

प्रश्न: खाताबही से आप क्या समझते हैं ? खाताबही में खतौनी करने के क्या नियम है ? खाताबही में खोले गए विभिन्न खातों के शेष कैसे निकाला जाता है एवं उन्हें बंद कैसे किया जाता है ?


उत्तर: खाताबही (Ledger)-
जर्नल और सहायक बहियों में लेन-देनों की प्रविष्टियां करने के पश्चात उनका वर्गीकरण किया जाता है। यह वर्गीकरण खाताबही में होता है। इस कारण वर्गीकरण को खाताबही कहते हैं। अतः जिस पुस्तक में समस्त व्यापारिक लेन-देनों को उनकी प्रकृति के अनुसार अलग-अलग मदों में वर्गीकृत कर प्रत्येक मद को एक खाते का रूप दिया जाता है, उसे खाताबही (Ledger) कहते हैं। इसे अंतिम लेखे की बही (Book of Final Entry) भी कहा जाता है क्योंकि जर्नल तथा सहायक पुस्तकों में लिखे गए समस्त लेन-देन अंततः खाताबही में लिखे जाते हैं जिससे प्रत्येक लेन-देन की द्वी-प्रविष्टि पूरी हो जाती है।


परिभाषाएं (Definitions)- 

  1. बाटलीबॉय के अनुसार, "यह वह पुस्तक है, जिसमें सभी व्यापारिक लेन-देन अंततः उचित रूप में, संबंधित खातों के अंतर्गत, श्रेणी विभाजित करके उतारे जाते हैं।"
  2. विलियम पिकिल्स के अनुसार, "हिसाब-किताब की पुस्तकों में खाताबही सबसे महत्वपूर्ण है और जो लेखें रोजनमचे या इसकी सहायक बहियों में किए जाते हैं, उनका निर्दिष्ट स्थान यह पुस्तक है।"
  3. एल.सी.कॉपर के अनुसार, "वह पुस्तक जिसमें एक व्यापारी के व्यवहारों को एक वर्गीकृत स्थाई रूप में विधिवत लिखा जाता है, खाताबही कहलाती है।"


निष्कर्ष (Conclusion)- खाताबही की उपर्युक्त परिभाषाओं का अध्ययन करने के पश्चात इसकी एक सरल परिभाषा इन शब्दों में दी जा सकती है, "खाताबही हिसाब-किताब की वह पुस्तक है जिसमें सभी व्यापारिक लेन-देनों को उनके स्वभाव के अनुसार, समूहबद्ध करके लिखा जाता है। प्रत्येक खाते को दो भागों में विभाजित किया जाता है। खाते के बाएं भाग में डेबिट के लेन-देन और दाएं भाग में क्रेडिट के लेन-देन लिखे जाते हैं।"


खाताबही की आवश्यकता व महत्व (Need & Importance of Ledger Book)-

  1. सूचना प्राप्त करने की दृष्टि से खाता-बही को लाभदायक माना गया है क्योंकि इससे समय व श्रम की बचत होती है।
  2. खाता-बही से इस बात की जानकारी होती है कि व्यापारी को किस व्यक्ति को कितना देना है और किससे कितना लेना।
  3. खाता-बही से सम्पत्तियों एवं पूँजी व दायित्वों की स्थिति के संबंध में भी जानकारी प्राप्त होती है।
  4. खाता-बही से व्यक्तिगत खाता, वास्तविक खाता तथा नाममात्र खाता से संबंधित सभी खातों की अलग-अलग एवं पूर्व जानकारी प्राप्त होती है।
  5. न्यायालय में वित्तीय विवादों के संबंध में खाता-बही प्रमाण का कार्य करती है।
  6. खाता-बही से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर व्यवसाय की उन्नति के लिए भावी योजनाओं के निर्माण में सहायक मिलती है।


खाताबही में खतौनी करने के नियम (Rules of Posting in Ledger Book)- 

  1. जर्नल में जितने खातों का नाम होता है, उन सभी का खाता खोला जाता है।
  2. खातों के नाम, खाता-बही के पृष्ठों के मध्य में, बड़े और स्पष्ट अंतरों में लिखा जाता है।
  3. एक नाम से संबंधित सभी लेखे एक ही जगह लिखा जाता है।
  4. जर्नल में किए गए लेखे को खाते में सिलसिलेवार ढंग से अर्थात तिथिवार लिखा जाता है।
  5. जिस नाम का खाता खोला जाता है उस नाम को उस खाते के Dr. या Cr. पक्ष में कभी नहीं लिखा जाता है। उसके Same Side Opposite Name लिखा जाता है।
  6. नाम पक्ष (Debit Side) के खाते के पहले To और जमा पक्ष (Credit Side) के खाते के पहले By शब्द लिखा जाता है।


खातों की शेष निकालना तथा उन्हें बंद करना (Balancing and Closing of Accounts)- खाताबही में खोले गए विभिन्न खातों के शेष निकालने तथा उन्हें बंद करने के नियम निम्नलिखित हैं-

(1) व्यक्तिगत खाता/दायित्व एवं पूँजी खाता के शेष निकालने की विधि- इन खातों के रखने का उद्देश्य यह है कि हम यह जान सकें कि किससे कितना रुपया लेना है और किसे कितना रुपया देना है। अतः इस प्रकार के खाते के डेबिट पक्ष की राशि का जोड़ बड़ा रहने पर खाते के क्रेडिट पक्ष में By Balance c/d लिखकर अंतर की राशि लिख देते हैं। फिर दोनों पक्षों का जोड़ लिख दिया जाता है, इससे खाता बंद हो जाता है। इसके बाद डेबिट पक्ष की ओर जोड़ वाली पंक्ति के बाद अगली पंक्ति में To Balance b/d लिखकर वही अंतर वाली राशि लिख देते हैं। तारीख वाले खाने में जिस तारीख को खाते बंद किए गए हैं, उसकी अगली तारीख लिखी जाती है।

          इसके विपरीत, यदि खाते का क्रेडिट शेष हो तो खाते के डेबिट पक्ष में To Balance c/d लिखते हैं और राशि वाले खाने में अंतर की राशि लिखी जाती है। फिर दोनों पक्षों का योग कर लिया जाता है। जोड़ की क्रिया के बाद अगली पंक्ति में खाते के क्रेडिट पक्ष में By Balance b/d लिखा जाता है और राशि वाले खाने में अंतर वाली राशि ही लिखी जाती है।

(2) वास्तविक खाता या सम्पत्ति खाता के शेष निकालने की विधि- वास्तविक खातों के रखने का उद्देश्य किसी विशेष सम्पत्ति का अपने पास शेष ज्ञात करना है। अतः ये खाते व्यक्तिगत खातों की तरह ही बंद किए जाते हैं। रोकड़ खाता, मशीन खाता, फर्नीचर खाता, भवन खाता इस तरह के खातों के उदाहरण हैं। ध्यान रहे कि सम्पत्ति या वास्तविक खातों का शेष हमेशा नाम शेष (Debit Balance) होता है। माल से संबंधित खातों (जैसे क्रय खाता, विक्रय खाता, क्रय वापसी खाता, विक्रय वापसी खाता) के शेष को व्यापार खाते (Trading A/c) में हस्तांतरित किया जाता है।

(3) अवास्तविक खाते या आगम एवं व्यय खाते के शेष निकालने की विधि- अवास्तविक खाते आय-व्यय से संबंधित होते हैं। इन खातों के रखने का उद्देश्य विभिन्न मदों से होने वाली आय और व्यय की राशियों को ज्ञात कर व्यापार का लाभ-हानि ज्ञात करना होता है। अतः इन खातों के शेषों को लाभ-हानि खातों में हस्तांतरित करने के लिए जो प्रविष्टियाँ की जाती हैं उन्हें अंतिम प्रविष्टियाँ कहा जाता है। अतः इन खातों में शेष निकालने में विवरण के खाते में Balance c/d शब्द ना लिखकर "Profit & Loss Account Transfer" लिखते हैं। खर्चे से संबंधित खातों का शेष नाम शेष (Debit Balance) तथा आय से संबंधित खातों का शेष जमा शेष (Credit Balance) हुआ करता है। 

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