Monday, October 26, 2020

प्रबंध के क्षेत्र में हेनरी फेयोल तथा टेलर के योगदानों का तुलनात्मक अध्ययन कीजिए। By RD Gupta

प्रश्न: प्रबंध के क्षेत्र में हेनरी फेयोल तथा टेलर के योगदानों का तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।

उत्तर: समानताएं (Points of Similarity)- टेलर तथा फेयोल दोनों ही उच्च श्रेणी के प्रबंध विशेषज्ञ थे। अतः उनके कार्यों में पर्याप्त समानताएं विद्यमान है जो कि निम्न है:


  1. टेलर तथा फेयोल दोनों ही प्रबंध की दशाओं को सुधारना चाहते थे। इसी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए दोनों ने ही कार्य किया।
  2. दोनों ही प्रबंध को विवेकपूर्ण तथा व्यवस्थित आधार प्रदान करना चाहते थे। इसके लिए टेलर ने "वैज्ञानिक प्रबंध" का आधार प्रदान किया तथा फेयोल ने "प्रशासन के सामान्य सिद्धांत" का उद्गम एवं विकास किया।
  3. दोनों ही अपने जीवन में प्रबंधक के पदों पर कार्य कर चुके थे तथा अपने अनुभवों की छाप प्रबंधन के क्षेत्र में लगाई। दोनों ने हीं अपने व्यावहारिक अनुभवों के आधार पर वैज्ञानिक प्रबंध के विकास में अमूल्य सहयोग प्रदान किया।
  4. दोनों ने ही प्रबंध के क्षेत्र में मानव तत्व के महत्व को पहचाना  उन दोनों का यह दृढ़ विश्वास था कि जब तक मानव के साथ विभिन्न स्तरों पर मानवीय व्यवहार नहीं किया जाएगा, तब तक औद्योगिक अथवा व्यवसायिक सफलता की कामना करना सर्वथा निरर्थक होगा।
  5. दोनों ने ही कुशल प्रबंधन हेतु "प्रबंधन के सिद्धांतों" का प्रतिपादन किया तथा उनके पालन करने एवं उनका विकास करने पर बल दिया।
  6. दोनों ने ही प्रबंधक के तकनीकी व पैसा पहलू पर बल दिया।
  7. दोनों ने ही प्रबंध के क्षेत्र में नियोजन पर बल दिया।
  8. दोनों की ही अवधारणा थी कि प्रबंध एक "अर्जित प्रतिभा" है, "जन्मजात नहीं"। अतः इसे विकसित किया जाना चाहिए।


असमानताएं (Points of Dissimilarity or Difference)- टेलर तथा  दोनों उच्च श्रेणी के प्रबंध विद्वान थे। इन दोनों विशेषज्ञों के उपर्युक्त समानताओं के होते हुए भी अनेक समानताएं विद्यमान है, जो कि मुख्य रूप से निम्न है:


  1. टेलर ने अपना कार्य प्रबंध के स्तर की निम्नतम श्रेणी से शुरू किया। इसके कारण उनके अध्ययन का केंद्र बिंदु 'श्रमिक' था। इसके विपरीत फेयोल ने अपना कार्य प्रबंध के स्तर की उच्चतम श्रेणी से प्रारंभ किया। इसके कारण उसके अध्ययन का केंद्र बिंदु 'प्रबंधक' था। उन्होंने समन्वय, निर्देशन की एकता, तथा सहयोग जैसे प्रबंध के सिद्धांत पर विशेष रूप से बल दिया।
  2. टेलर ने श्रमिकों की कार्यकुशलता के बढ़ाने पर बल दिया तथा इसी क्षेत्र में अपने विभिन्न प्रयोग (जैसे- समय अध्ययन, गति अध्ययन, तथा थकान अध्ययन) किए। इसके विपरीत, फेयोल का दृष्टिकोण काफी विस्तृत होने के कारण उन्होंने प्रबंध के ऐसे सिद्धांतों का प्रतिपादन किया जिन्हें प्रशासन के विभिन्न क्षेत्रों में सरलता से लागू किया जा सकता है। अधिकांश विद्वानों की सम्मति में टेलर "कुशलता विशेषज्ञ" थे तथा फेयोल "प्रशासन विशेषज्ञ" थे।
  3. टेलर ने कारखाने के प्रबंध तथा उत्पादन के इंजीनियरिंग पक्ष (जैसे- यंत्रों एवं औजारों का प्रमाणीकरण) की ओर विशेष रूप से ध्यान दिया। इसके विपरीत, फेयोल ने प्रबंध के कार्यों की ओर विशेष रुप से ध्यान दिया।
  4. टेलर की विचारधारा सैद्धांतिक है, जबकि फेयोल की विचारधारा व्यवहारिक है।
  5. टेलर वैज्ञानिक प्रबंध स्कूल के समर्थक थे, जबकि फेयोल व्यवहारवादी स्कूल के समर्थक थे।
  6. टेलर ने व्यक्ति विशेष पर बल दिया, जबकि फेयोल ने व्यक्तियों के समूह पर बल दिया।
  7. टेलर ने क्रियात्मक संगठन द्वारा श्रमिकों की कार्यकुशलता बढ़ाने पर बल दिया, जबकि फेयोल ने प्रशासन के सिद्धांतों द्वारा प्रशासनिक क्षमता को बढ़ाने पर बल दिया।
  8. नई परिस्थितियों के प्रभाव में टेलरवाद में बहुत परिवर्तन हो गया है किंतु फेयोल के सिद्धांत आज भी उतने ही उपयोगी एवं उपयुक्त हैं।


निष्कर्ष (Conclusion)- प्रबंध विद्वान विशेषज्ञ श्री उर्विक ने टेलर तथा फेयोल इन दोनों विद्वानों के योगदान का तुलनात्मक विवरण इन शब्दों में प्रस्तुत किया- "टेलर तथा फेयोल दोनों के ही कार्य एक दूसरे के पूरक थे। इन दोनों ने ही यह अनुभव किया कि प्रबंध के प्रत्येक स्तर पर कर्मचारियों एवं उनके प्रबंध की समस्या औद्योगिक असफलता की कुंजी है। दोनों ने ही इस समस्या के समाधान के लिए वैज्ञानिक तरीकों का प्रयोग किया है। यद्यपि टेलर ने मुख्यतः औद्योगिक प्रबंध के क्रम में नीचे से ऊपर की ओर क्रियात्मक स्तर पर कार्य किया, जबकि फेयोल ने जनरल मैनेजर के पद पर ध्यान केंद्रित करके ऊपर से नीचे की ओर कार्य करने पर जोर दिया। वस्तुतः यह अंतर उनके बहुत भिन्न व्यवसाय क्रमों का प्रतिबिंब मात्र था।"



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