Tuesday, August 10, 2021

लेखांकन का इतिहास (History of Accountancy) by RD Gupta

लेखांकन का इतिहास (History of Accountancy):

  1. भारत, मिश्र, बेबीलोनिया में प्राप्त अभिलेखों तथा ग्रंथों में हिसाब किताब रखने की क्रिया का वर्णन मिलता है।
  2. भारत में वैदिकयुगीन लेखांकन का वर्णन "मनुसंहिता" में मिलता है।
  3. मोहनजोदड़ो और हड़प्पा की खुदाई से प्राप्त शिलालेखों पर निर्माण लागत का लेखा मिलता है।
  4. कौटिल्य द्वारा लिखित पुस्तक "अर्थशास्त्र" में भी हिसाब-किताब रखने की विधि का वर्णन किया गया है।
  5. आधुनिक पुस्तपालन प्रणाली का जन्म 1494 ई. में इटली के वेनिस नामक शहर में हुआ था
  6. इस प्रणाली के जन्मदाता प्रसिद्ध गणितज्ञ और दर्शनशास्त्री लुकास पैसियोली (Lucas Pacioli) थे, इसलिए लुकास पैसियोली को लेखांकन के पिता के रूप में जाना जाता है।
  7. लुकास पैसियोली ने 1494 ई. में "डी कंप्यूटिसेट स्क्रिप्चरिस" (De Computiset Scripturis) नामक पुस्तक लिखी थी जिसमें सर्वप्रथम उन्होंने ही "दोहरा लेखा प्रणाली" (Double Entry System) के सिद्धांतों और नियमों के बारे में बताया गया था।
  8. यह पुस्तक मूल रूप से बीजगणित पर लिखी गई थी और इसी की एक अध्याय में लेखांकन के बारे में बताया गया था।
  9. यह पुस्तक मूलतः लैटिन भाषा में लिखी गई थी।
  10. 1543 में "ह्यूग ओल्ड कैसिल" (Huge Old Castle) ने इस पुस्तक का अंग्रेजी में अनुवाद किया।
  11. इसी पुस्तक के आधार पर "एडवर्ड जॉन्स" (Edward Jones) ने 1785 ई. में "बुक कीपिंग की अंग्रेजी प्रणाली" (English System of Book-keeping) नामक पुस्तक लिखी।
  12. 17वीं, 18वीं, 19वीं तथा 20वीं शताब्दी में व्यापार के विकास के साथ-साथ पुस्तपालन तथा लेखांकन के सिद्धांतों और नियमों में परिवर्तन हुए।
  13. इन परिवर्तनों के फलस्वरुप इसमें लागत लेखांकन, प्रबंधकीय लेखांकन, कर लेखांकन आदि का भी जन्म और विकास हुआ। इसके साथ-साथ अंकेक्षण की प्रणाली भी विकसित होती गई।
  14. आधुनिक समय में पुस्तपालन की समाप्ति के बाद लेखांकन का कार्य आरंभ होता है तथा लेखांकन की समाप्ति के बाद अंकेक्षण की क्रिया प्रारंभ होती है।
  15. भारत के अंग्रेजी शासनकाल में यह प्रणाली हमारे देश में आई और तब से निरंतर इसमें विकास और शोध के कार्य चल रहे हैं।

By- RD Gupta

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