साझेदारी के 50 महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर
साझेदारी से संबंधित 50 महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर
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साझेदारी क्या है --
दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच लाभ कमाने के उद्देश्य से किया गया
समझौता साझेदारी कहलाता है।
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साझेदारी अधिनियम कब लागू हुआ --
साझेदारी अधिनियम 1932 में लागू हुआ।
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साझेदारी का मुख्य उद्देश्य क्या है --
लाभ कमाना एवं साझा करना।
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साझेदारी समझौते को क्या कहते हैं --
साझेदारी विलेख।
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साझेदारी अधिनियम 1932 में कुल कितनी धाराएँ हैं --
कुल 74 धाराएँ।
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बैंकिंग व्यवसाय में साझेदारी की अधिकतम सीमा कितनी है --
10 साझेदार।
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सामान्य व्यवसाय में साझेदारी की अधिकतम सीमा कितनी है --
20 साझेदार।
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साझेदारी अधिनियम, 1932 की धारा 4 किससे संबंधित है --
साझेदारी की परिभाषा से।
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क्या साझेदारी विलेख लिखित होना अनिवार्य है --
नहीं, यह मौखिक भी हो सकता है।
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साझेदारी विलेख का पंजीकरण अनिवार्य है या नहीं --
नहीं, यह वैकल्पिक है।
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साझेदारी फर्म को क्या कहा जाता है --
व्यक्तियों का समूह।
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साझेदारी में लाभ-हानि किस आधार पर बाँटा जाता है --
साझेदारी विलेख के अनुसार।
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साझेदारी विलेख न होने पर लाभ-हानि का बँटवारा कैसे होता है --
समान रूप से।
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साझेदारी में न्यूनतम कितने सदस्य होने चाहिए --
कम से कम 2।
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साझेदारी में अधिकतम सीमा कहाँ दी गई है --
भारतीय कंपनी अधिनियम में।
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साझेदारी फर्म की पंजीकरण प्रक्रिया किसके अधीन होती है --
फर्मों के पंजीयक के अधीन।
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साझेदारी का पंजीकरण किस धारा के अंतर्गत होता है --
धारा 58।
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साझेदारी के पंजीकरण का प्रमाण क्या है --
पंजीकरण प्रमाणपत्र।
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साझेदारी विलेख को किस पर लिखा जाता है --
स्टाम्प पेपर पर।
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साझेदारी विलेख में क्या-क्या लिखा जाता है --
साझेदारों का विवरण, पूंजी, लाभ-हानि बाँटने का अनुपात आदि।
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साझेदारी की समाप्ति को क्या कहते हैं -- विघटन।
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साझेदारी का विघटन किस धारा में है --
धारा 39 से 47 तक।
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साझेदारी फर्म को कौन पंजीकृत करता है --
फर्मों का पंजीयक।
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साझेदारी के पंजीकरण का क्या लाभ है --
कानूनी सुरक्षा प्राप्त होती है।
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पंजीकृत फर्म कौन-कौन पर दावा कर सकती है --
साझेदारों तथा तीसरे पक्ष पर।
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अपंजीकृत फर्म की सीमा क्या है --
यह किसी पर दावा नहीं कर सकती।
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साझेदारी विलेख में परिवर्तन कैसे होता है --
आपसी सहमति से।
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साझेदारी की समाप्ति कब-कब हो सकती है --
समय की समाप्ति, उद्देश्य की पूर्ति, साझेदार की मृत्यु आदि पर।
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साझेदारी में असीमित देयता किसकी होती है --
सभी साझेदारों की।
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साझेदारी का प्रमुख आधार क्या है --
आपसी समझौता।
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साझेदारी को अन्य किस नाम से जाना जाता है --
फर्म।
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साझेदारी की समाप्ति पर ऋण का भुगतान किस प्रकार किया जाता है --
फर्म की संपत्ति से।
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साझेदारी अधिनियम की धारा 12 किससे संबंधित है --
साझेदारों के अधिकार व कर्तव्यों से।
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साझेदारी अधिनियम की धारा 13 किससे संबंधित है --
साझेदारों के परस्पर संबंधों से।
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साझेदारी अधिनियम की धारा 18 किससे संबंधित है --
साझेदार की एजेंसी से।
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साझेदारी अधिनियम की धारा 25 किससे संबंधित है --
साझेदार की देयता से।
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साझेदारी की समाप्ति के पश्चात फर्म को क्या करना पड़ता है --
परिसमापन।
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साझेदारी की न्यूनतम सीमा क्यों है --
क्योंकि यह एकल स्वामित्व से अलग है।
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साझेदारी में अधिकतम सीमा क्यों है --
ताकि फर्म बड़ी कंपनी का रूप न ले।
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साझेदारी फर्म का कराधान कैसे होता है --
आयकर अधिनियम के अनुसार।
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साझेदारी में लाभ किसे मिलता है --
सभी साझेदारों को।
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साझेदारी में हानि कौन वहन करता है --
सभी साझेदार।
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साझेदारी फर्म का पंजीकरण कहाँ होता है --
राज्य स्तर पर।
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क्या साझेदारी फर्म स्वतंत्र कानूनी इकाई होती है --
नहीं।
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साझेदारी में प्रत्येक साझेदार का स्थान क्या होता है --
सह-मालिक।
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साझेदारी का सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज कौन-सा है --
साझेदारी विलेख।
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साझेदारी में एजेंसी का सिद्धांत क्या है --
प्रत्येक साझेदार फर्म का प्रतिनिधि होता है।
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साझेदारी की समाप्ति पर शेष संपत्ति किसे मिलती है --
साझेदारों को।
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साझेदारी अधिनियम का प्रशासन कौन करता है --
राज्य सरकार।
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साझेदारी अधिनियम, 1932 किस अधिनियम से अलग किया गया था --
भारतीय अनुबंध अधिनियम से।